न्यूज प्रिन्ट, किच्छा। मोहर्रम की दूसरी तारीख पर किच्छा में एक अनोखी सामाजिक पहल देखने को मिली। जहां आमतौर पर मातम के दौरान लोग प्रतीकात्मक रूप से खून बहाते हैं, वहीं उम्मीद फाउंडेशन नामक संस्था ने ‘याद-ए-हुसैन’ मुहिम के तहत एक स्वेच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन कर नई मिसाल पेश की। इस शिविर में 100 से अधिक लोगों ने उत्साहपूर्वक रक्तदान किया।
संस्था के अध्यक्ष अकरम खां ने बताया कि यह मुहिम वर्ष 2021 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य मोहर्रम के दौरान बहाए जाने वाले प्रतीकात्मक खून को वास्तविक जरूरतमंदों की जान बचाने में प्रयोग करना है। उन्होंने बताया कि संस्था ने अब तक करीब 700 यूनिट से अधिक रक्तदान करवा चुका है। यह सिलसिला हर साल मोहर्रम में लगातार जारी रहता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी आयोजित रक्तदान शिविर में सभी धर्मों और समुदायों के लोगों ने भाग लिया, जिससे यह आयोजन केवल धार्मिक परंपरा तक सीमित न रहकर सामाजिक एकता और मानवता की सेवा का प्रतीक बन गया।
रक्तदान शिविर में युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आयोजन स्थल पर स्वास्थ्य विभाग की टीम मौजूद रही, जिसने पूरी निगरानी और सावधानी के साथ रक्त संग्रह किया। रक्तदान करने वालों को संस्था की ओर से प्रमाण पत्र और धन्यवाद पत्र देकर सम्मानित भी किया गया।
अकरम खां ने कहा कि हमें गर्व है कि इस मुहिम के जरिए हर धर्म और वर्ग के लोग एकजुट होकर इंसानियत की सेवा में हाथ बंटा रहे हैं। यह सामाजिक सौहार्द और आपसी भाईचारे को मजबूत करने की दिशा में एक छोटा लेकिन सशक्त कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में इस अभियान को और विस्तार दिया जाएगा ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंदों की मदद की जा सके। इस पहल की चारों ओर सराहना हो रही है। शहर में यह संदेश तेजी से फैल रहा है कि मोहर्रम का जज़्बा केवल शोक और मातम नहीं, बल्कि समाजसेवा और मानवता के लिए कुछ करने का संकल्प भी हो सकता है।