न्यूज़ प्रिंट,रुद्रपुर। बरसाती मौसम के बीच डेंगू मलेरिया आदि की संक्रमण रोग के मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं। ज्यादातर मामले डेंगू के आते हैं। डेंगू से पीड़ित हो जाने पर मरीज में मुख्य रूप से रक्त जाने वाली प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। ऐसे में मरीज के परिजन और उनके तीमारदारों को प्लेटलेट्स के लिए ब्लड बैंकों में जाने की परेशानी उठानी पड़ती है। कई बार इनकी कमी की वजह से मरीज के सामने दिक्कतें भी आती हैं। वहीं अब जिला अस्पाताल में डेंगू से पीड़ित मरीज के आने पर परिजनों को प्लेटलेट्स की कमी होने पर इसके लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। जल्द ही पंडित राम सुमेर शुक्ल राजकीय मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध जिला अस्पाताल में इसके लिए रक्त विज्ञान लैब की स्थापना की जाएगी। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं वरिष्ठ सर्जन डॉ. केदार सिंह शाही ने बताया कि बरसाती मौसम के दौरान जिला अस्पाताल में आने वाले मरीजों में डेंगू से पीड़ित मरीजों को संख्या अधिक हो जाती है। उन्होंने बताया कि डेंगू पीड़ित मरीजों में मुख्यता प्लेटलेट्स काउंट तेजी से कम हो जाती है। जिससे मरीज के स्वास्थ पर गहरा असर पड़ता है। इसी समस्या को देखते हुए जिला अस्पाताल में जनपद की पहली रक्त विज्ञान लैब की स्थापना की जाने वाले है।
प्लेटलेट्स की कमी से जूझ रहे मरीजों को नई जिंदगी देने में एफेरेसिस मशीन बेहद कारगर साबित हो सकती है। इसकी खासियत यह है कि इसके माध्यम से ब्लड डोनर के खून से प्लेटलेट्स निकालकर खून वापस उसके शरीर में ब्लीडिंग सेट से चला जाता है। यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल जरूर है लेकिन इससे प्लेटलेट्स का खर्च भी करीब 5 गुना कम हो जाता है। डॉ. केदार सिंह शाही, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज रुद्रपुर डेंगू के सीजन में प्लेटलेट्स के लिए मरीजों को काफी परेशान होना पड़ता था। अब उन्हें प्लेटलेट्स के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। जल्द ही जिला अस्पाताल में एफेरेसिस मशीन की स्थापना होने के बाद सबसे अधिक फायदा डेंगू से पीड़ित मरीजों को मिलेगा। -डॉ. केके अग्रवाल, पीएमएस जिला अस्पाताल रुद्रपुर जिला अस्पाताल में बनाई जाने वाली रक्त विज्ञान लैब में 40 लाख के करीब की एफेरेसिस मशीन को स्थापित किया जाएगा। इस मशीन की खासियत है कि ये और ब्लड सेपरेशन मशीन के मुकाबले अधिक तेजी से प्लेटलेट्स बनाने के साथ कम समय में ब्लड से प्लेटलेट्स को अलग कर देती है। एफेरेसिस मशीन एक यूनिन ब्लड में ही 30 हजार से 40 हजार के करीब प्लेटलेट्स बनाने की क्षमता रखती है। जबकि अन्य मशीन एक यूनिट ब्लड में 3 से 4 हजार प्लेटलेट्स ही बना पाती है।