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Friday, November 22, 2024

हिंदी सिनेमा का ध्रुव तारा कहे जाने वाले महमूद अली अपनी एक्टिंग के साथ-साथ अनोखे अंदाज के लिए भी रहे मशहूर, 92वीं जयंती पर जानें उनके बारे में बहुत कुछ…

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मशहूर पिता की मकबूल संतान थे महमूद। एक्टिंग रगों में दौड़ती थी, लेकिन परिवार बुरे दौर से भी गुजरा। भरे पूरे परिवार को छोड़ा फिर लौटे भी। ड्राइवरी, कोरस सिंगर, जूनियर आर्टिस्ट तक का काम किया लंबी जद्दोजहद के बाद अपना खास मुकाम भी बनाया। सबको हंसाने वाला एक्टर पर्दे पर बिंदास दिखा तो जिंदगी की कड़वी खट्टी हकीकत को मौका आया तो डिस्प्ले भी कर दिया। किसी फिल्मी कहानी जैसी ही थी महमूद अली की कहानी। जिनकी 29 सितंबर को 92वीं जयंती है।

महमूद अली का जन्म
29 सितंबर 1932 में उस जमाने के मशहूर एक्टर मुमताज अली और लतीफुन्निसा की दूसरी संतान का जन्म हुआ। नाम दिया गया महमूद अली। मुमताज अली प्यार से इन्हें अन्नू बुलाते थे। इन्हें लकी मानते थे और आगे चलकर ये साबित भी हुआ। एक्टर पिता इसलिए भी खुश थे क्योंकि उनका बेटा देश की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ की रिलीज के एक साल बाद पैदा हुआ और संयोग ऐसा था कि मुमताज अली का जन्म पहली मूक फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ के पर्दे पर आने से एक साल पहले हुआ था।

हिंदी सिनेमा के कॉमेडी किंग
बॉलीवुड में आज हर फिल्म में कॉमेडी का इस्तेमाल बढ़ चढ़ कर किया जाता है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हिंदी सिनेमा में एक ऐसा भी दौर था जब सिर्फ एक्शन ही चलता था। कॉमेडी का नाम ओ निशान भी नहीं था और हास्य कलाकार का मुकाम सबसे निचले पायदान पर हुआ करता था। लेकिन कॉमेडी की ग़ुरबत महज़ 60 के दशक तक ही रही। 60 के दशक में बॉलीवुड में कॉमेडी को अपनी पहचान मिली। लोग अब फिल्मों में कॉमेडी देखना चाह रहे थे और यह नामुमकिन सा लगने वाला कारनामा किसी और ने नहीं बल्कि बॉलीवुड के कॉमेडी के बेताज बादशाह महमूद अली ने कर दिखाया।

मेहनत की बदौलत
किसी ने सोचा भी नहीं था की गऱीब परिवार में जन्मा एक सांवला सा लड़का बॉलीवुड की चकाचौंध में इतिहास रचेगा। लेकिन महमूद ने अपनी लगन और मेहनत के बदौलत नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया।

जबरदस्त मेहनत की
किसी ने सोचा भी नहीं था की गऱीब परिवार में जन्मा एक सांवला सा लड़का बॉलीवुड की चकाचौंध में इतिहास रचेगा। लेकिन महमूद ने अपनी लगन और मेहनत के बदौलत नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया।

हर चुनौती का किया सामना
लेकिन कॉमेडी किंग महमूद की कहानी जितनी फि़ल्मी लगती है उनकी जि़न्दगी उतनी ही चुनौतियों से भरी हुई रही। लेकिन महमूद ने हर चुनौती का हंसतेहंसाते सामना किया। महमूद का जन्म 29 सितंबर 1932 को मुंबई में हुआ था। वे एक फिल्मी परिवार से ताल्लुक रखते थे।

बचपन गरीबी में गुजऱा
फिल्मो में सबको हंसानेवाले कॉमेडी किंग महमूद का अपना बचपन बेहद मशक्कत से भरा हुआ रहा। उनके पिता मुमताज अली बाम्बे टाकीज स्टूडियो में काम किया करते थे। घर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए महमूद मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनो में टॉफिया बेचा करते थे।

बचपन से था अभिनय का शौक
महमूद को बचपन से अभिनय का शौक था पिता मुमताज अली की सिफारिश की बदौलत महमूद को 1943 मे रिलीज हुई फिल्म ‘किस्मतÓ में अशोक कुमार के बचपन की भूमिका निभाने का मौका मिला।

ड्राइवर भी बने
पापी पेट को पलने के लिए महमूद ने वह सब किया जो सभी आम लोग करते हैं। घर चलने के लिए महमूद ने कार ड्राइव करना सीखा और निर्माता ज्ञान मुखर्जी के यहां बतौर ड्राइवर नौकरी करने लगे। इसके अलावा महमूद ने राजा मेंहदी, भरत व्यास,अली खान गीतकार गोपाल सिंह नेपाली, और निर्माता पी.एल. संतोषी के यहां भी ड्राइवर का काम किया।

महमूद की फिल्में
महमूद ने बाल कलाकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और धीरेधीरे भारतीय सिनेमा के मशहूर कॉमेडियन बन गए। उन्होंने पड़ोसन, बॉम्बे टू गोवा, भूत बंगला, सद्गुरु, कुंवारा बाप जैसी फिल्मों में अपने अनोखे अभिनय से दर्शकों को खूब हंसाया।

मीना कुमारी से दोस्ती
इंडियन फिल्म में बड़ा मुकाम हासिल करने से पहले, महमूद कथित तौर पर मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी के टेनिस कोच थे। दोनों में अच्छी दोस्ती थी। टेनिस सिखाने के लिए मीना कुमार से लगातार मुलाकात के दौरान महमूद ने उनकी बहन मधु कुमारी के करीब आ गए। रिपोट्र्स के मुताबिक, मधु कुमारी और महमूद की शादी 1953 में हुई थी। हालांकि, 1967 में दोनों अलग हो गए थे।

दूसरी बार भी तलाक
अपनी पहली पत्नी और अभिनेत्री, मधु कुमारी से तलाक के बाद, हास्य अभिनेता को एक और खूबसूरत अभिनेत्री, ट्रेसी से प्यार हो गया था। कुछ वर्षों तक दोनों का रिश्ता अच्छा चला। लेकिन बाद में तलाक हो गया।

आखिरी ख्वाहिश
बता दें कि महमूद मुस्लिम धर्म को मानने वाले थे। उनका जन्म भी मुस्लिम परिवार में ही हुआ था लेकिन वो हमेशा चाहते थे कि उन्हें दफनाया नहीं जाए बल्कि जलाया जाए। इस बात का जिक्र हनीफ़ ज़ावेरी ने अपनी किताब महमूद ए मैन ऑफ मैनी मूड्स में किया है। अभिनेता की दिली तमन्ना थी कि उन्हें जलाया जाए और उनकी अस्थियों को तीन खास जगह पर रखा जाए। कहा जाता है कि इस खबर के बाद तनाव काफी बढ़ गया था। उनके घरवालों के काफी समझाने के बाद उन्होंने अपनी ख्वाहिश वापस ले ली। महमूद का निधन 23 जुलाई 2004 को हुआ। जिसके बाद उनके परिवारवालों ने उन्हें दफना दिया।

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