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Saturday, October 18, 2025

रुद्रपुर रामलीला में वेदवती-रावण संवाद से लेकर राम जन्म तक की लीला का मंच, पढ़ें पूरी खबर…

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हे जालिम तेरा क्या बिगाड़ा, तीर सीने में क्यों तूने मारा..
न्यूज प्रिन्ट, रुद्रपुर।
नगर की प्रमुख बस स्टैंड वाली रामलीला में आज द्वितीय दिवस में रावण वेदवती संवाद, श्रवण कुमार की मातृ-पितृ भक्ति, श्रवण कुमार को शब्दभेदी बाण लगना, श्रवण कुमार के माता पिता द्वारा दशरथ को शाप देना, दोनो का पुत्र को याद कर तड़प तड़प कर दम तोड़ देना, सीता जन्म व राम जन्म तक की सुंदर लीला का मंचन हुआ। आज लीला का शुभारंभ रूद्रपुर नगर निगम के महापौर विकास शर्मा नें प्रभु श्रीरामचन्द्र जी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलन कर किया।

श्री रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों एवं सदस्यों नें मेयर विकास शर्मा एवं अतिथिगणों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। मेयर विकास शर्मा नें अपने संबोधन मे सभी क्षेत्रवासियों को रामलीला मंचन की बधाई देते हुये कहा कि नगर निगम इन नवरात्रों पर बड़ी संख्या में विकास कार्य संपादित करा रहा है। आज विकास कार्यों के साथ ही नगर के धार्मिक स्थलों की साज सज्जा भी करा रहा है। श्रीरामलीला मंच रूद्रपुर की शानदार प्राचीन परंपराओं का सशक्त हस्ताक्षर है। मेयर विकास शर्मा नें इस मंच की साज सज्जा हेतु नगर निगम शैड निर्माण, मिट्टी भरान एवं पक्के फर्श के निर्माण की घोषणा भी की। विगत दिवस की लीला में सबसे पहले गणेश वंदना व श्रीराम वंदना संपन्न हुयी। प्रथम दृश्य मंचन में वेदवती भगवान विष्णु की परम भक्त थी और वह उन्हें पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थीं। तभी वहां से रावण गुजर रहा था, और उसकी नजर वेदवती पर पड़ी। वेदवती सुंदर थी, जिस कारण रावण उसपर मोहित हो गया और उसकी तपस्या भंग करने लगा। रावण वेदवती को अपने साथ ले जाने का प्रयास करने लगा। जिससे आहत होकर वेदवती ने अग्निकुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। अग्नि कुंड में कूदने से पहले वेदवती ने रावण को श्राप दिया की वही उसकी मृत्यु का कारण इसके के दृश्य में श्रवण कुमार महर्षि वशिष्ठ से अपने अंधे माता पिता के अंधत्व का कारण जान व्याकुल हो उठते हैं और एक कांवर बना उसमें वृद्ध माता पिता को तीर्थाटन करानें निकल पड़ते हैं। अयोध्या नगरी के समीप उनकें माता पिता को प्यास लगती है, जिस पर वह सरयू नदी किनारें जाकर जल भरनें लगते है। वहां पर आखेट के लिये आये राजा दशरथ उन्हें जंगली जानवर समझकर शब्दभेदी बाण चलातें है, जिससे श्रवण कुमार गंभीर घायल हो जाते है तथा प्राण त्याग देते है। श्रवण की मौत के बाद राजा दशरथ उनके वृद्ध माता पिता को जल पिलाते हुये उन्हें श्रवण कुमार की मौत का समाचार देते है।

आज की लीला में भगवान गणेश के रूप में आशीष ग्रोवर आशू, रावण की भूमिका में रमन अरोरा, वेदवती की भूमिका में सुमित आनन्द, श्रवण कुमार- पुलकित बाम्बा, माता नरेश छाबड़ा, पिता शांतनु मनोज मुंजाल, दशरथ- प्रेम खुराना, जनक अनिल तनेजा, वशिष्ठ- मनोज मुंजाल, कौशल्या-सुमित आन्नद, सुमित्रा अग्रिम सचदेवा, कैकयी-हर्ष नरूला, सुमन्त-सचिन आन्नद, बालिका सीता सीता भुड्डी, बालक राम- अनहद साहनी आदि थे।
श्रीराम लीला में मुख्य अतिथि मेयर विकास शर्मा के साथ पार्षद विष्णु, पार्षद चिराग कालड़ा, गौरव जुयाल, प्रवीण यादव, सन्नी चुघ भी मौजूद रहे। रामलीला मंचन के दौरान श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, कोषाध्यक्ष अमित गंभीर सीए, समन्यवयक नरेश शर्मा, अमित अरोरा बोबी, राजेश छाबड़ा, मोहन लाल भुडडी, महावीर आजाद, राकेश सुखीजा, मनोज गाबा, कर्मचन्द राजदेव, सुभाष खंडेलवाल, प्रेम खुराना, आशीष ग्रोवर आशू, हरीश सुखीजा, मनोज मुंजाल, विशाल, राम कृष्ण कन्नौजिया, हरीश साहनी, अमित साहनी, अनिल तनेजा, रमन अरोरा, कुक्कू शर्मा, गौरव राज बेहड़, राजेश कामरा, सौरभ राज बेहड़, विजय विरमानी, बंटी बाम्बा, कृतिका बाम्बा, आशीष मिड्ढा, राजकुमार कक्कड़, सचिन मुंजाल, कपिश सुखीजा, शिवम जग्गा, आशू सुखीजा, राजन राठौर, सहित हजारो रामभक्त मौजूद थे। श्रीरामलीला संचालन रामभक्त सुशील गाबा, विजय एवं संदीप धीर ने किया।

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