न्यूज प्रिन्ट, रुद्रपुर। उत्तराखंड का रुद्रपुर शहर इन दिनों एक नई बहस का केंद्र बना हुआ है। इसका कारण है स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना, जिसे सरकार ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से लागू कर रही है। हालांकि, इस योजना ने राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में तीव्र प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कर दी हैं। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का उद्देश्य बिजली खपत पर नियंत्रण और बिजली चोरी रोकना है। लेकिन जनता का कहना है कि यह योजना बिना पूरी तैयारी और जागरूकता के लागू की जा रही है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग इसे आर्थिक बोझ मानते हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि एक बार रिचार्ज खत्म होने पर बिजली तुरंत कट जाती है, जिससे आम लोगों की परेशानी बढ़ रही है। रुद्रपुर में बीजेपी की पकड़ मजबूत है, लेकिन स्मार्ट मीटर योजना ने पार्टी के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है।

विपक्षी दल इसे जनता के खिलाफ कदम बता रहे हैं और बीजेपी को जन-विरोधी सरकार के रूप में पेश कर रहे हैं। रुद्रपुर जैसे शहरी क्षेत्रों में बिजली का मुद्दा सीधे तौर पर मतदाताओं की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर को किसी भी हाल में लगने नहीं देने की बात कही है। उन्होंने खुले मंच से चेतावनी देते हुये स्मार्ट प्रीपेड मीटर का विरोध करेंगे। वहीं, रुद्रपुर में कांगे्रस से मेयर पद का चुनाव लड़ रहे मोहन खेड़ा भी जगह-जगह जाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर का विरोध और उसके नुकसान को गिना रहे हैं। उन्होंने कहा कि रुद्रपुर की जनता स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लगने नहीं देगी। इस वक्त रुद्रपुर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर बड़ा मुद्दा बन गया है। जिसे विपक्षी नेता भुनाने में लगे हैं। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर जनता को समझाने में कामयाब होती नहीं दिख रही है। ऐसे में अगर यही हाल रहा तो रुद्रपुर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर भाजपा की बत्ती गुल न कर दे। फिलहाल, चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कांग्रेस स्मार्ट प्रीपेड मीटर को मुद्दा बनाकर जनता के बीच वोट की अपील कर रही हैै।