न्यूज प्रिन्ट, रुदपुर। किसी भी युद्ध पर विजय प्राप्त करने के लिये अपने साथियों का अंत तक साथ बने रहना नितांत आवश्यक है। अगर अपने ही दगा देने पर आ जाएं तो युद्ध में जीत मिलना बेहद कठिन हो जाता है। रुद्रपुर में भाजपा के सामने अपनों को अपना बनाए रखना ही बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। पार्टी के भीतर अपनों से विश्वासघात मिलने की संभावना का बड़ा डर है। भाजपा प्रत्याशी भी एक मंच से इस डर पर चिंता जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने एक सार्वजनिक मंच से ललकारते हुये धोखा देने वालों को नहीं छोडऩे की बात कही थी। हालांकि, बाद में उन्होंने इस बयान को विरोधी दल के लिये कहे जाने की बात कही। लेकिन उनके बयान से साफ है कि पार्टी के भीतर विश्वासघात का डर जरूर पनप रहा है। ऐसे में इससे पार पाने के लिये भाजपा को चुनाव के अंतिम दिनों में अपनों को साधे रखना चुनौतीपूर्ण है। इसके इतर, भाजपा के लिए प्रत्येक वार्ड से जीतना भी बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। वार्डों में भाजपा के सामने सड़क, पानी, बिजली, सफाई और कचरा प्रबंधन जैसे मुद्दे पर जनता को साधे रखने से लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं को समेटे रखने की चुनौती है। निकाय चुनाव में वार्ड स्तर पर जीतना भाजपा के लिए आसान कार्य नहीं है। उसे न केवल स्थानीय समस्याओं का समाधान करना होगा, बल्कि पार्टी के भीतर गुटबाजी और असंतोष जैसी आंतरिक चुनौतियों से भी निपटना होगा। इसके साथ ही, विरोधी दलों की मजबूत उपस्थिति और जनता की बढ़ती अपेक्षाएं भी भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। हालांकि, वार्ड स्तर पर जीतने के लिए पार्टी को एकजुटता और संगठनात्मक क्षमता का प्रदर्शन करना होगा। यही रणनीति भाजपा को निकाय चुनावों में सफलता दिला सकती है।
टिकट वितरण और असंतोष
भाजपा जैसी बड़ी पार्टी में उम्मीदवारों की संख्या अधिक होती है। लेकिन वार्ड स्तर पर सीमित सीटों के कारण सभी को टिकट देना संभव नहीं होता। ऐसे में टिकट वितरण के बाद भाजपा में गहरा असंतोष पनपा है। कई वार्डों में भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने पार्टी से रुख मोडऩे का काम किया है।