15.1 C
Rudrapur
Friday, November 22, 2024

एक बोतल पानी, फायर प्रूफ कपड़ों के बिना भेजा जंगल, अब जाकर टूटी अधिकारियों की नींद

अवश्य पढ़ें

Almora News: बिनसर अभयारण्य में 13 जून को लगी भीषण आग ने आठ परिवारों की खुशियों को छीन लिया। जानकारी के अनुसार जिन कर्मचारियों को आग बुझाने के लिए भेजा गया, उन्हें खुद की सुरक्षा के लिए कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए।

Ad.

अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य में 13 जून को लगी भीषण आग ने आठ परिवारों की खुशियों को छीन लिया। आग बुझाने गए चार वन कर्मियों की मौत के मामले की पड़ताल में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जिन कर्मचारियों को आग बुझाने के लिए भेजा गया, उन्हें खुद की सुरक्षा के लिए कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए। आग बुझाने के लिए वन बीट अधिकारी, दो पीआरडी जवान, दो दैनिक श्रमिक, दो फायर वॉचर और वाहन चालक को भेजा गया था वह भी बिना संसाधनों के। उनके साथ कोई बड़ा अधिकारी क्यों नहीं गया। इन लोगों को पानी की एक-एक बोतल और एक-एक रैक (आग बुझाने का उपकरण) के साथ रवाना कर दिया गया।

दैनिक श्रमिकों और फायर वॉचरों को फायर प्रूफ कपड़े तो दूर, विभाग ने जूते तक उपलब्ध नहीं कराए। टीम के सदस्य पेड़ों की टहनियों को तोड़ रहे थे कि आग की भीषण लपटों ने उन्हें घेर लिया। ऐसे में सवाल उठता है कि बगैर संसाधनों के इन कर्मियों को धधकते जंगल में क्यों भेज दिया। अभयारण्य में तैनात कर्मियों की सुरक्षा के लिए उचित इंतजाम आज तक क्यों नहीं हुए। संसाधनविहीन कार्मिकों को धधकते जंगल में क्यों भेज दिया गया, इस तरह के कई सवालों के जवाब अब भी बाहर आने शेष हैं। कब तक बगैर संसाधनों के जंगल की आग में कूदकर कर्मचारी अपनी जान गंवाते रहेंगे, सरकारी तंत्र को इसका जवाब भी देना होगा।

कोढ़ में खाज का काम कर गईं विभाग की अव्यवस्थाएं
13 जून को बिनसर सेंचुरी में हुई वनाग्नि की घटना में विभाग की अव्यवस्थाओं ने कोढ़ में खाज का काम किया। पहले तो वन विभाग के पास आग बुझाने के लिए अपना फायर टेंडर(आग बुझाने का यंत्र) ही नहीं था। ऊपर से अधिकारियों ने टीम को वहां भेजने से पहले अग्निशमन विभाग की मदद लेना भी मुनासिब नहीं समझा। अगर टीम के साथ अग्निशमन विभाग का एक फायर टेंडर होता तो जंगल की आग पर काबू पा लिया गया होता और कर्मचारियों की जान बच जाती।

उच्चाधिकारियों को लेना चाहिए था संज्ञान
बिनसर अभयारण्य ओक प्रजाति के घने जंगलों से घिरा है जो संरक्षित है। यहां के जंगल में मानव हस्तक्षेप न होने से पिरूल और अन्य चौड़ी पत्तीदार पेड़ों की पत्तियों का डंप है। विभाग को यह जानकारी थी कि पत्तियों में आग लगने के बाद इसे आसानी से शांत करना मुश्किल होगा। ऐसे में अप्रशिक्षित कार्मिकों को बगैर संसाधनों के आग बुझाने भेज दिया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक वन विभाग के अधिकारियों को जब जंगल की आग की भयावहता की जानकारी थी तो पहले विभाग के उच्चाधिकारियों को मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेना चाहिए था और रणनीति बनाकर इस पर काबू पाने के लिए उचित इंतजाम करने चाहिए थे। जिम्मेदार अफसर आलीशान दफ्तरों में बैठकर निर्देश देते रहे और संसाधन विहीन कार्मिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया।

बिनसर सेंचुरी में कर्मचारियों की स्थिति

पद                                     स्वीकृत        रिक्त

प्रभागीय वनाधिकारी               01             00

वन दारोगा                            04             04

वन बीट अधिकारी                  07             03

दैनिक श्रमिक                        02             00

फायर वाॅचर                          22             00

बिनसर सेंचुरी में वनाग्नि के मामले की उच्च स्तरीय जांच चल रही है। जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार उच्च स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

- Advertisement -spot_img

अधिक समाचार

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

ताजा खबर