न्यूज़ प्रिंट देहरादून। उत्तराखंड में 19 तारीख को कल पांचो सीटों पर लोकसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं। लेकिन चुनाव प्रतिशत के आंकड़े इस बार चौंकाने वाले हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार उत्तराखंड में मत प्रतिशत में गिरावट आई है। गिरावट के साथ-साथ चकराता के 15 गांव ने इस बार चुनाव का बहिष्कार भी किया है। इसको लेकर अब प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी ने चुनाव बहिष्कार को लेकर कांग्रेस पर आरोप लगाए हैं।
चकराता के 15 गांवों ने किया चुनाव का बहिष्कार
चकराता के द्वारा और विशाल खत में इस बार गांव वालों ने वर्षों से दवा पुल बराबर मोटर मार्ग के छोरी कारण को लेकर चुनाव का बहिष्कार किया। यहां शुक्रवार को किसी ने भी मतदान नहीं किया। ग्रामीण 32 साल से दानापुर बेरवा मोटर मार के छोरी कारण वुधारीकरण की मांग कर रहे हैं इसके लिए कई बार आंदोलन भी ग्रामीणों द्वारा किया गया मगर सड़क निर्माण तो दूर की बात है उन्हें इसके लिए कोई आश्वासन तक नहीं मिला।
जिसके बाद इस बार ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव बहिष्कार का फैसला लिया। जौनसार बाबर में ये पहला मौका नहीं जब 15 गांव के ग्रामीणों ने चुनाव में वोट नहीं दिए। बात करें द्वारा में सात गांव शामिल है और विशालाड में 8 गांव शामिल है। मतदान के दिन अफसरों की टीम द्वारा ग्रामीणों को मानने की कोशिश भी की गई। लेकिन गांव वालों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
बीजेपी ने कांग्रेस पर लगाए आरोप
चकराता से चुनाव बहिष्कार को लेकर भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस पर आरोप लगा रही है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि चकराता से कई बार कांग्रेस के प्रितम सिंह विधायक रहे हैं और कैबिनेट मंत्री रहे हैं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। ऐसे में इसका जवाब कांग्रेस को देना चाहिए। अगर वहां पर कोई विकास नहीं हुआ तो इसकी जिम्मेदार कांग्रेस है और कांग्रेस के विधायक प्रीतम सिंह को इसका जवाब देना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी कर रही है पक्षपात
कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी ने कहा कि प्रीतम सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं है वो चकराता के विधायक है। लेकिन सरकार भाजपा की है और जहां-जहां कांग्रेस के विधायक हैं उनके क्षेत्रों को नजरअंदाज किया जा रहा है। वहां पर विधायक निधि के अलावा जो योजनाएं हैं वो जनता तक नहीं पहुंच रही। यानी कि भारतीय जनता पार्टी पक्षपात कर रही है। नवीन जोशी ने कहा कि जहां-जहां चुनाव का बहिष्कार हुआ है वह भाजपा की नाकामी है। अगर भाजपा ने वहां कुछ काम किया होता तो लोग वोट करते लेकिन यह साफ तौर पर भाजपा का फेलियर देखा जा रहा है।