पूज्यनीय स्वर्ग फार्म वाली देवी साधारण भेष में असाधारण व्यक्तित्व की धनी : नारायण चैतन्य
न्यूज प्रिन्ट, रुद्रपुर। पूज्यनीय ब्रह्मलीन संत वैष्णवी शक्ति पीठाधीश्वरी मां हंसेश्वरी भारती जी महाराज के स्थान वैष्णवी शक्तिपीठ मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण की तृतीय दिवस की कथा में नारायण चैतन्य जी महाराज ने वट सावित्री व्रत जिसमें पतिव्रता स्त्री की महिमा बताई। महाराज जी ने सृष्टि का वर्णन शुकदेव जी परीक्षित जी का मिलन एवं सृष्टि का विस्तार की कथा सुनाई।

उन्होंने कहा कि मनु शतरूपा से हमारी सृष्टि हुई है। हम सभी को मनुष्य क्यों कहते हैं? क्योंकि हम सभी मनु महाराज की संतान हैं। इसलिए हम सभी को मनुष्य कहा जाता है। आगे मनु जी की तीन कन्याएं आकूती, देवहूती, प्रसूती दो पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद के बारे में बताया गया। देवहूति का विवाह ऋषि कर्दम जी के साथ हुआ। कर्दम जी के नौ कन्याएं हुई और दसमे नंबर पर भगवान स्वयं कपिल जी के रूप में आई। नो कन्याएं नवधा भक्ति हैं और जब नवधा भक्ति किसी के जीवन में आती हैं तो फिर बाद में भगवान को आना ही पड़ता है। आगे ध्रुव जी की कथा सुनाते हुए कहा ध्रुव जी एक दिन अपने पिता की गोदी में बैठने जा रहे थे, तभी उनकी मौसी ने यह कहकर निकाला कि अगर तुझे राज गद्दी पर बैठना है, तो पहले भगवान की तपस्या कर और भगवान से वरदान मांग कि मेरे गर्भ से जन्म ले फिर तुझे यह राज गद्दी मिलेगी।

ध्रुव रोते-रोते मां के पास आए और कहा की मां मौसी ने मुझे डांटा मां ने समझाया की बेटा मौसी ने सही ही तो कहा है यदि तू भगवान को पा लेगा तो ऐसी गद्दी और गोदी तेरे आगे पीछे रहेंगी। ध्रुव जी जाते हैं और भगवान को प्राप्त करते हैं।
इससे शिक्षा यह मिलती है कि अगर कोई हमसे उल्टा भी कुछ कहे पर उसे जो ज्ञानी व्यक्ति होता है। वह उसी बात को बुरे तरीके से ना लेकर के अच्छा समझ करके अच्छी दिशा में मोड़ देते हैं। जैसे ध्रुव कि मां ने ध्रुव जी को भड़काया नहीं की मौसी ने गलत कहा जबकि कहा कि बेटा तेरी मौसी ने सही ही तो कहा है। मौसी को प्रणाम कर के और तपस्या के लिए जाओ। इससे शिक्षा मिलती है कि हमें बुराई में भी अच्छाइयां देख लेनी चाहिए। साथ में संतो के स्वभाव पर प्रकाश डालते हुए महाराज जी ने कहा संतो को मनुष्य बुद्धि से नहीं समझा जा सकता, संतो के जाने के बाद उनकी कमी का अहसास होता है ।

पूज्यनीय स्वर्ग फार्म वाली देवी जी मां हंसेश्वरी भारती जी महाराज साधारण भेष में असाधारण व्यक्तित्व थी जिनकी कमी पूरी नहीं हो सकती। इस मौके पर महंत भजन प्रकाश अरोड़ा व श्याम खुराना, मीना शर्मा, अनिल शर्मा, प्रेम, राजेश, राजीव, सतनाम, जीतू, अशोक, लक्ष्य, जगदीश, आशा, रमन, शम्मी, सीमा, कंचन, गगन, सुनीता, प्रीति आदि मौजूद थे।