
न्यूज प्रिंट रूद्रपुर। शहर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कुमाऊँनी भाषा सम्मेलन के सफलता पूर्वक सम्पन्न होने पर सम्मेलन के मीडिया प्रभारी डा. केसी चंदौला ने सभी प्रतिभागियों, सहयोगियों और आयोजन समिति के सदस्यों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से रूद्रपुर में पहली बार इस प्रकार का गरिमामय सम्मेलन आयोजित हुआ, जो कुमाऊँनी भाषा और साहित्य के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। डा. चंदौला ने बताया कि सम्मेलन के दौरान कुमाऊँनी भाषा के अस्तित्व, संरक्षण और प्रसार से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गहन मंथन हुआ। देशभर से आए बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, शिक्षाविदों और भाषा प्रेमियों ने अपने विचार साझा किए। सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि कुमाऊँनी भाषा को उसकी सांस्कृतिक विरासत के अनुरूप पहचान दिलाने के लिए ठोस पहल आवश्यक है। सम्मेलन में यह मांग प्रमुखता से उठाई गई कि कुमाऊँनी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि इसे संवैधानिक मान्यता प्राप्त हो सके।

इसके साथ ही वक्ताओं ने कुमाऊँनी भाषा को विद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिससे नई पीढ़ी अपनी मातृभाषा से जुड़ाव बनाए रख सके। चंदौला ने कहा कि भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक पहचान और परंपरा की धरोहर है। ऐसे में कुमाऊँनी भाषा को संरक्षित रखना हर कुमाऊँनी का कर्तव्य है। चंदौला ने कहा कि इस सम्मेलन से निकले विचार और प्रस्ताव भविष्य में कुमाऊँनी भाषा और साहित्य को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होंगे। डा. चंदौला ने अंत में कहा कि सम्मेलन के सार्थक परिणाम शीघ्र सामने आएंगे और आने वाले वर्षों में कुमाऊँनी भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर उसका उचित सम्मान और पहचान प्राप्त होगी।


