न्यूज़ प्रिंट,रुद्रपुर… श्रीमद् भागवत कथा की दूसरे दिन की शुरुआत भागवत आरती और प्राणियों के कल्याण के लिए विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। कथा व्यास नीरजा शरणार्थी ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा को सुनने के बाद हम जो भी मांगते हैं वह हमें कथा अमृत से प्राप्त होता है। लोग कहते हैं कि उसे मिला है हमें क्या मिला है वह अमीर है और हम गरीब हैं, उन्होंने कहा कि जब आप कुछ कर्म करोगे तभी आपको उसका फल मिलेगा बिना करें कुछ भी प्राप्त नहीं होता है जैसे बने हुए खाने को खाने के लिए हाथ को चलना पड़ता है वैसे ही यह भागवत कथा आपको सब कुछ दे सकती है, लेकिन उसके लिए आपको मेहनत करनी पड़ेगी भागवत कथा श्रवण करनी पड़ेगी। कथावाचक नीरजा शरणार्थी द्वारा द्वारा कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि श्री कृष्णा दुखी है कि इस कलयुग के मानव का कल्याण कैसे हो, इस चिंता को देखते हुए राधा रानी ने कृष्ण से पूछा क्या आपने इन मानवों के लिए कुछ सोचा है तो प्रभु श्री कृष्ण ने बोला एक उपाय है कि हमारे यहां से कोई जाए और हमारी कथाओं का गायन कराए। और जब हमारी कथाएं मानव सुनेंगे तो उनका कल्याण निश्चित हो जाएगा। भागवत वही अमर कथा है जो भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी कथा सुनना भी सबके भाग्य में नहीं होता है जब भगवान भोलेनाथ से माता पार्वती ने अमर कथा सुनने की प्रार्थना की तो भोलेनाथ ने कहा कि आप जाएं पहले यह देखकर आओ की कैलाश पर्वत पर तुम्हारे या मेरे अलावा और कोई तो नहीं है इस पर पार्वती माता पूरा कैलाश देखकर आई पर उनकी नजर शुक के अंडों पर नहीं पड़ी। भगवान भोलेनाथ ने पार्वती माता को जो अमर कथा सुनाई थी वह श्रीमद् भागवत कथा ही थी।
लेकिन अमर कथा सुनने के मध्य में पार्वती माता को निद्रा आ गई थीं और वह कथा शुक ने पूरी सुन ली थीं।यह भी पूर्व जन्मों का पाप का प्रभाव होता है की कथा बीच में छूट जाती है कथा व्यास नीरजा शरणार्थी ने बताया कि शुक द्वारा चुपके से अमर कथा सुन लेने के कारण जब भोलेनाथ ने उन्हें मारने के लिए दौड़ाया तो वह एक ब्राह्मणी के गर्भ में छुप गए थे। कई वर्षों बाद व्यास जी के निवेदन पर भगवान भोलेनाथ जी इस पुत्र के ज्ञानवान होने का वरदान देकर चले गए। व्यास जी ने जब शुक को बाहर आने के लिए कहा तो शुक ने कहा कि जब तक मुझे माया से सदा मुक्त होने का आश्वासन नहीं मिलेगा मैं बाहर नहीं आऊंगा। तब भगवान नारायण को स्वयं आकर यह कहना पड़ा था कि शुक आप आ जाओ आपको मेरी माया कभी नहीं लगेगी। यह आश्वासन मिलने पर शुक बाहर आए। यानी माया का बंधन उनको नहीं चाहिए था लेकिन आज मानव को तो केवल माया का बंधन ही चारों ओर से वाधता फिरता है। और इस माया के चक्कर में मानव धरती पर अलग-अलग योनि में जन्म लेता है श्रीमद् भागवत कथा एक ऐसा सरल माध्यम है जो आपको इस जन्म मरण के चक्कर से मुक्त कर देगा और नारायण के धाम में सदा के लिए आपको स्थान मिलेगा।
इस दौरान कथा व्यास आचार्य नीरजा शरणार्थी, संत प्रेम निष्ठानंद बाई जी, पंडित लव कुश शास्त्री श्री धाम वृंदावन, जैन प्रॉपर्टीज, कमल जैन, कमल बंसल, श्रीमति अंजू बंसल, अरिहंत बंसल,चारुल बंसल,अंशिका, उजाला, आदीश,महक, सालिकराम बंसल, राधेश्याम बंसल, विष्णु बंसल, महेश बंसल, गोपेश बंसल, जसपाल अरोरा, खैराती लाल गगनेजा, सुभाष गगनेजा, चेतन, राजू हुडिया, शिवम,राजपाल पुष्पा रानी, कीर्ति, प्रिया ,मानसी, कुंदन लाल अग्रवाल, बजरंग लाल अग्रवाल, अखिलेश अग्रवाल, मनोज गोस्वामी, राधा रानी अग्रवाल, सुभाष गगनेजा, खैराती लाल गगनेजा, आदि भक्त उपस्थित थे।