गदरपुर (उत्तराखंड)। उत्तर भारत की प्रमुख धान मंडियों में शामिल गदरपुर अनाज मंडी में इन दिनों बेमौसमी धान की कमजोर आवक देखी जा रही है। जानकारी के अनुसार, प्रतिदिन करीब दो हजार बोरी बेमौसमी धान मंडी में पहुंच रही है। सरकारी प्रतिबंध के कारण इस बार धान की बहुत कम पैदावार हुई है। भूजल के अत्यधिक दोहन को देखते हुए सरकार ने बेमौसमी धान की खेती पर रोक लगाई थी। किसानों को शर्त दी गई थी कि वे साल में केवल एक बार ही धान की खेती करेंगे, ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे।
मैसर्स दीदार ट्रेडर्स के मालिक दीदार सिंह के अनुसार, इस समय मंडी में शरबती धान 2150 से 2250 रुपये प्रति कुंतल, पीआर 126 किस्म 1900 से 1950 रुपये और धान 1509 2750 से 2900 रुपये प्रति कुंतल के बीच बिक रहा है। व्यापारी मानते हैं कि अच्छी कीमत मिलने के कारण किसान बेमौसमी धान उगाने को प्रोत्साहित हो रहे हैं। आढ़ती राजेश अग्रवाल ने बताया कि ईरान युद्ध के कारण चावल का एक्सपोर्ट नही हो रहा है जिससे धान के भाव मे मंदी है। हालांकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बेमौसमी धान की खेती भूजल स्तर गिराने, मृदा की सेहत खराब करने और जलवायु असंतुलन का कारण बन सकती है। इससे लंबे समय में खेती की स्थिरता पर असर पड़ सकता है। प्रशासन के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह मंडी में आ रहे धान की निगरानी करे और यह सुनिश्चित करे कि जलवायु नीति का उल्लंघन न हो। खेती को टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल बनाए रखने के लिए किसानों को वैकल्पिक फसल चक्र अपनाने के लिए प्रेरित करना होगा।
