न्यूज़ प्रिंट उत्तराखंड। आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है। चैत्र नवरात्रि का हिंदू धर्म में खासा महत्व है। यूं तो साल में चार बार नवरात्रि आती है पहला चैत्र नवरात्रि, दूसरा शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि। जिसमें से चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रियों को धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो जाती है।
आज से चैत्र नवरात्रि आरंभ
आज से चैत्र नवरात्रों की शुरूआत हो गई है। नवरात्रि के पहले दिन मां न घट स्थापना के बाद मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज। मां शैलपुत्री के हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा
मां शैलपुत्री का वाहन है वृषभ
मां शैलपुत्री को भगवान शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है। मां का वहान बैल है और इनका वाहन वृषभ (बैल) होने के कारण इन्हें वृषभारूढा के नाम से भी जाना जाता है। मां के दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में मां शैलपुत्री कमल धारण किया हुआ है।
मां शैलपुत्री को लगाएं ये भोग
मां शैलपुत्री को गाय का घी चढ़ाना चाहिए। मां के चरणों में गौघृत अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य और दीर्घ आयुका आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही भक्त का मन और शरीर दोनों ही निरोगी रहता है। मां शैलपुत्री की पूजा के दौरान भी घी का अखंड दीपक भी जलाते हैं।
मां शैलपुत्री को गाय के घी और दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। माता रानी को गाय के दूध से बनी बर्फी, खीर या घी से बने हलवे का भोग लगाया जाता है। बता दं कि गाय के दूध से बनी बर्फी को आप व्रत के दौरान भी खा सकते हैं।