रुद्रपुर। कभी साथ-साथ पार्टी की पतवार थामे हुए नेता अब एक-दूसरे को डुबाने पर आमादा हैं। उत्तराखंड की तराई की सियासत में कांग्रेस की कलह अब खुलकर सामने आ गई है।
किच्छा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री तिलकराज बेहड़ और किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हरेंद्र सिंह लाडी के बीच जुबानी जंग ने पार्टी की जड़ों को झकझोर दिया है। अब यह टकराव केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी तपिश हाईकमान तक पहुंचने लगी है। हरेंद्र सिंह लाडी ने बेहड़ पर जहां भाजपा के इशारे पर काम करने और पार्टी को रसातल में पहुंचाने का आरोप जड़ा, वहीं बेहड़ ने भी लाडी को आड़े हाथों लेते हुए तीखे तेवर दिखाए। बेहड़ ने यहां तक कह दिया कि अगर पार्टी की हार-जीत उन्हीं की वजह से तय होती है तो कांग्रेस की कमान उन्हें ही सौंप दी जाए। साथ ही उन्होंने 2011 के दंगे की ओर इशारा करते हुए दो टूक कहा, अगर मैंने मुंह खोला तो बात बहुत दूर तक जाएगी।
बेहड़ ने लाडी पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि वह दूसरों के कंधे पर बंदूक चलाने के आदी हैं। चुनौती देते हुए बेहड़ बोले, अगर रुद्रपुर से इतना ही प्रेम है तो 2027 में यहां से चुनाव लड़ें, खुद को आजमा लें। उन्होंने किसान कांग्रेस के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े कर दिए और रुद्रपुर, किच्छा व गदरपुर में पार्टी की हार का ठीकरा ध्रुवीकरण की राजनीति पर फोड़ा, जिसमें उन्होंने लाडी की भूमिका को जिम्मेदार बताया। उधर, लाडी ने पलटवार में बेहड़ को घेरते हुए कहा कि वह पार्टी में ‘अहंकार’ के प्रतीक बन चुके हैं और इसी कारण कई समर्पित कार्यकर्ता कांग्रेस से दूर हो गए हैं।
उन्होंने बेहड़ पर भाजपा से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि वह कांग्रेस को लगातार कमजोर कर रहे हैं। इस सियासी टकराव में अब रुद्रपुर कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा भी कूद पड़े हैं। उन्होंने बेहड़ पर संगठन को एकजुट न होने देने और नए नेतृत्व को उभरने से रोकने का आरोप लगाया। शर्मा ने साफ कहा कि अब पार्टी को बचाने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही हाईकमान से मिलेगा। गौरतलब है कि यह पूरा विवाद पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल के एक बयान से शुरू हुआ, जिस पर बेहड़ की प्रतिक्रिया के बाद लाडी ने प्रेस वार्ता कर हमला बोला था। लेकिन अब यह जुबानी जंग दिल्ली तक गूंजने को तैयार है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह कलह अगर यूं ही जारी रही तो 2027 के चुनाव से पहले कांग्रेस को अपने ही घर में बड़ी सफाई करनी पड़ सकती है। अब देखना यह है कि हाईकमान किसे दोषी ठहराता है और किसके सिर पर हाथ रखता है।
