न्यूज प्रिन्ट, रुद्रपुर। शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी भारत भूषण कालरा की धर्मपत्नी प्रेम कालरा (आयु 70 वर्ष) का लंबी बीमारी के बाद आज निधन हो गया। उनके निधन की खबर से समूचे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों सहित बड़ी संख्या में लोगों ने दिवंगत आत्मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की और शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की। दुख की इस घड़ी में भी कालरा परिवार ने एक अद्वितीय और प्रेरणादायक कार्य करते हुए प्रेम कालरा के नेत्रदान का निर्णय लिया, जिससे दो नेत्रहीन व्यक्तियों को रोशनी मिलने की संभावना बनेगी। यह कार्य समाज के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।
भारत विकास परिषद रुद्रपुर शाखा के सक्रिय सहयोग से, मुरादाबाद से आई नेत्र विशेषज्ञों की टीम ने आवश्यक कागजी प्रक्रिया पूर्ण कर प्रेम कालरा के नेत्र (कॉर्निया) प्राप्त किए। परिषद के नेत्रदान प्रकल्प संयोजक संजय ठुकराल ने बताया कि संस्था जन-जागरूकता के माध्यम से नेत्रदान जैसे महादान को प्रोत्साहित करने के लिए सतत प्रयासरत है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आम लोगों में नेत्रदान को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करना जरूरी है। नेत्रदान के दौरान केवल आंख की बाहरी पारदर्शी परत कॉर्निया को ही अत्यंत कोमलता से निकाला जाता है, जिससे मृतक के चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती। भारत विकास परिषद के प्रांतीय वित्त सचिव अमित गंभीर ने बताया कि भारत में करीब 1.2 मिलियन लोग कॉर्नियल अंधेपन से पीडि़त हैं। हर वर्ष करीब 20,000 से 25,000 नए मामले सामने आते हैं। नेत्रदान इन लोगों के जीवन में नई रोशनी ला सकता है। परिषद ने क्षेत्रवासियों से अपील की है कि वे भी मरणोपरांत नेत्रदान के लिए आगे आएं।
नेत्रदान की इस पुनीत प्रक्रिया में प्रेम कालरा जी के परिजनों राजीव सेतिया (भाई), मोहित कालरा (पुत्र), आशीष गंभीर, दीपक गंभीर, अमित गंभीर (भांजे), सुरेन्द्र अरोड़ा, राजकुमार, रोहित ढल्ल (दामाद) ने विशेष सहयोग प्रदान किया। सभी ने दिवंगत आत्मा की चिरशांति के लिए प्रार्थना करते हुए इस कार्य को सम्पन्न करवाया। प्रेम कालरा जी की स्मृति अब दो लोगों की आंखों में उजाला बनकर जीवित रहेगी। उनका यह अमूल्य योगदान समाज में नेत्रदान के प्रति चेतना और प्रेरणा का स्त्रोत बना रहेगा।