न्यूज़ प्रिंट सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने आज एक बड़ा फैसला लेते हुए चुनावी बॉन्ड स्कीम को अंसवैधानिक करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनावी बांड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को बंद कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बैंक तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को आदेश दिया है कि राजनीतिक दलों द्वारा लिए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एसबीआई भारत के चुनाव आयोग को विवरण प्रस्तुत करे और ECI इन विवरणों को वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।
चुनावी चंदा देने वालों के नाम बताने चाहिए
चुनावी बांड पर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों द्वारा दिया गया दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्य से है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं और चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी आवश्यक है।
चंदे की जानकारी न देना असंवैधानिक
कोर्ट ने कहा कि चंदे की जानकारी न देना असंवैधानिक है। इसके साथ ही यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन भी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोटर्स को यह जानने का हक है कि पार्टियों को किसने चंदा दिया है। केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि दो अलग-अलग फैसले हैं। एक उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं।
पार्टियों से मांगा चंदे का ब्यौरा
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को आदेश दिया है कि बैंक अदालत को इलेक्ट्रोरल बांड के बारे में जानकारी दे। एसबीआई चुनावी बांड जारी करना तुरंत रोके। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल बताएं कि चुनावी बांड से उन्हें कितना पैसा मिला।