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Friday, November 22, 2024

विधायक शिव अरोरा समेत दस भाजपा नेता कोर्ट से हुए बर 2022 के विधानसभा चुनाव में नामांकन के दौरान दर्ज हुआ था केस…..पढ़ें पूरी खबर

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न्यूज़ प्रिंट रूद्रपुर। 2022 के विधानसभा चुनाव में नामांकन के दौरान वर्तमान विधायक शिव अरोरा समेत दस भाजपा नेताओं पर दर्ज हुए केस में शुक्रवार को मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ने अहम फैसला सुनाते हुए साक्ष्यों के अभाव में सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया। 

बता दें 2022 के विधानसभा चुनाव में 28 जनवरी 2022 को भाजपा प्रत्याशी शिव अरोरा का कलेक्ट्रेट परिसर में नामांकन था। इस दौरान जिले में वरिंदरजीत सिंह कप्तान थे। नामांकन के दौरान भाजपा प्रत्याशी शिव अरोरा और उनके साथ आये भाजपा के प्रदेश मंत्री विकास शर्मा, सुरेश परिहार, तत्कालीन मेयर रामपाल सिंह, हरीश भट्ट, भारत भूषण चुघ, राजकुमार साहा, गुरमीत सिंह, के के दास, विवेक सक्सेना आदि भाजपा नेताओं के खिलाफ तत्कालीन पंतनगर थानाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह डांगी ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनिनियम 1950 की धारा 127 एवं आईपीसी की धारा 188, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 एवं आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन का केस दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने 6 मार्च 2022 को चार्जशीट दाखिल की। मामले की सुनवाई माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में हुई। सभी आरोपियों पर 21 सितम्बर 2023 को आरोप तय हुए। अभियोजन ने मामले में छह गवाह पेश किये। ये सभी गवाह पुलिस के थे। इनमें जनता का कोई भी गवाह नहीं था। मामले में 21 फरवरी 2024 को सभी आरोपियों के बयान हुए। 

शुक्रवार को माननीय मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी की अदालत में सुनवाई हुयी।  साक्ष्यों के अभाव में माननीय न्यायाधीश ने वर्तमान विधायक शिव अरोरा समेत सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार देकर बरी कर दिया। 

मुकदमे में भाजपा नेताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दिवाकर पाण्डे, परवेज आलम, शिव सक्सेना, नवीन ठुकराल, अंकित सिडाना, एस के सिंह सहित कई अधिवक्ताओं ने पैरवी करते हुए आरोपों को झूठा साबित कर दिया। 

वरिष्ठ अधिवक्ता दिवाकर पाण्डे ने बताया कि न्याय की जीत हुयी हुयी है। यह मुकदमा पूरी तरह से राजनैतिक द्वेष भावना से दर्ज किया गया था। पुलिस ने जो आरोप लगाये थे वह निराधार थे। साक्ष्य के रूप में पुलिस ने जो फोटो ग्राफ प्रस्तुत किये वह उन्हें वह ऑरिजनल प्रस्तुत नहीं कर पाये। साथ ही गवाहों में सामंजस्य नहीं था। जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि मुकदमा पूरी तरह राजनैतिक विद्वेषवश दर्ज किया गया है। अधिवक्ता दिवाकर पाण्डे ने कहा कि यह फैसला ऐसे समय आया है जब वर्तमान में भी आचार संहिता लागू है। यह फैसला प्रशासन के लिए नजीर है। 

भाजपा प्रदेश मंत्री विकास शर्मा ने फैसले पर हर्ष व्यक्त करे हुए न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। उन्होनें कहा कि सच्चाई की जीत हुयी हैं। यह मुकदमा पूरी तत्कालीन एसएसपी वरिंदरजीत सिंह के इशारे पर जानबूझकर दर्ज किया गया था।

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