न्यूज़ प्रिंट नैनीताल लोकसभा सीट पर हमेशा मुकाबला जबरदस्त रहा है। नैनीताल सीट काफी खास है क्योंकि इस सीट के अंदर ना सिर्फ मैदानी बल्कि पहाड़ी भाग भी शामिल है। इसके साथ ही इस सीट का इतिहास भी रोचक है। नैनीताल सीट का पर कई दिगग्ज नेता अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।आपको ये जानकर हैरानी होगी कि यही वो सीट है जिस पर दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को हार सामना करना पड़ा था।
नैनीताल सीट पर मुकाबला हमेशा रहा खास
साल 1957 से नैनीताल की इस सीट पर कई सालों तक कांग्रेस का ही राज रहा। पहले आम चुनाव में 79,221 मतों से जीतकर सी डी पांडे नैनीताल से सबसे पहले सांसद बने। उस वक्त इस सीट पर नैनीताल, ऊधमसिंहनगर के साथ ही बरेली का बहेड़ी और रानीखेत क्षेत्र शामिल था। इसके बाद से साल 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस की ही कब्जा रहा।
इसके बाद साल 1977 में हुए आम चुनाव में भरत भूषण ने 196,304 मतों से जीत कर ये सीट भारतीय लोक दल की झोली में डाल दी। इसके बाद नैनीताल सीट पर काफी फेरबदल हुए। साल 1980 में नैनीताल सीट पर नारायण दत्त तिवारी ने कांग्रेस को जीत दिलाई और साल 1984 में भी इस सीट पर कांग्रेस का राज बना रहा।
साल 1989 में जनता दल ने इस सीट पर जीत हासिल की
साल 1991 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी एक बार फिर मैदान में उतरे। तब सियासी गलियारों में ये भी चर्चाएं होने लगी की नारायण दत्त तिवारी को प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है। इस साल का आम चुनाव नैनीताल के लिए बेहद दिलचस्प रहा। इस सब के बाद भी भारतीय जनता पार्टी के बलराज पासी ने 167,509 मतों से जीतकर नारायण दत्त तिवारी जैसे नेता को हराया था।
कब कौन जीता ?
- साल 1996 – नारायण दत्त तिवारी 307,449 मत
- 1998 – इला पंत 292,761 मत
- 1999 – नारायण दत्त तिवारी 350,381 मत
- 2004 – के सी सिंह बाबा
- 2009 – के सी सिंह बाबा 321,377 मत
- 2014 – भगत सिंह कोश्यारी 636,769 मत
- 2019 – अजय भट्ट 772,195 मत
बता दें कि कांग्रेस के टिकट पर उत्तराखंड के दिग्गज नेता एनडी तिवारी और हरीश रावत मैदान में उतरे थे। लेकिन दोनों को ही इस सीट पर हार मिली। भारतीय जनता पार्टी से इस सीट पर उत्तराखंड के दूसरे मुख्यमंत्री साल 2014 में मैदान में उतरे थे। जनता ने उन पर भरोसा जताया और उन्हें जीत हासिल हुई थी।
ND तिवारी और हरदा को करना पड़ा था हार का सामना
साल 1991 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में सीएम रहे एनडी तिवारी ने नैनीताल लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाई। जबकि उत्तराखंड में सीएम रहे हरीश रावत ने साल 2019 में इस सीट से चुनाव लड़ा था। दोनों ही कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता हैं। लेकिन साल 1991 में भी और साल 2019 में भी भारतीय जनता ने इस सीट से बाजी मारी और दोनों दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा।
साल 1991 का लोकसभा चुनाव रहा दिलचस्प
नैनीताल-उधम सिंह नगर सीट से सबसे दिलचस्प लोकसभा चुनाव साल 1991 का रहा। जब कांग्रेस के टिकट पर उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम एनडी तिवारी मैदान में उतरे थे। तो वहीं भाजपा से बलराज पासी को टिकट दिया था। 1991 में मुकाबला बेहद ही दिलचस्प रहा क्योंकि युवा बलराज पासी ने दिग्गज नेता और पूर्व सीएम एनडी तिवारी को भारी मतों से हराया।
2014 में कोश्यारी और 2017 में आजमाई हरदा ने किस्मत
साल 2014 में उत्तराखंड के पूर्व सीएम रहे भगत सिंह कोश्यारी को भारतीय जनता पार्टी ने नैनीताल सीट से मैदान में उतारा। जबकि कांग्रेस ने केसी सिंह बाबा को चुनावी चेहरा बनाया। अपने अनोखे अंदाज के लिए हमेशा चर्चाओं में रहने वाले भगत सिंह कोश्यारी ने कांग्रेस के केसी सिंह बाबा को हरा दिया। साल 2017 में पूर्व सीएम हरीश रावत ने नैनीताल सीट से अपनी किस्मत आजमाई। उनके सामने बीजेपी ने अजय भट्ट को मैदान में उतारा। लेकिन हरदा को हार का सामना करना पड़ा। अजय भट्ट ने हरदा को तीन लाख से भी ज्यादा वोटों से हरदा को करारी शिकस्त दी।