कोटद्वार। उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार की अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने वंतारा रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर अंकित गुप्ता और कर्मचारी सौरभ भास्कर को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए उन पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस फैसले के बाद यह मामला एक बार फिर पूरे देश की चर्चा में आ गया है।
कौन थी अंकिता भंडारी?
अंकिता भंडारी मूल रूप से श्रीनगर गढ़वाल की रहने वाली थी। वह एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी। घर की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने के कारण उसने नौकरी की तलाश शुरू की थी। उसे ऋषिकेश के पास स्थित वंतारा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी मिली। लेकिन इस नई शुरुआत का अंत बेहद दर्दनाक हुआ।
क्या हुआ था अंकिता के साथ?
अंकिता 18 सितंबर 2022 को रहस्यमयी तरीके से लापता हो गई थी। पांच दिन की तलाश के बाद 24 सितंबर को उसका शव ऋषिकेश के पास चिल्ला नहर से बरामद किया गया। जांच में सामने आया कि रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों के साथ मिलकर उसे नहर में धक्का देकर मार डाला था। हत्या का कारण था ‘वीआईपी गेस्ट’ को ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ देने से अंकिता का इनकार करना।
जांच और न्याय प्रक्रिया
मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने तत्काल एसआईटी गठित की। जांच में 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें 97 गवाह शामिल थे। अभियोजन पक्ष ने 47 गवाहों को अदालत में पेश कर मजबूत पक्ष रखा। अदालत ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया और अब उम्रकैद की सजा सुनाई है।
सामाजिक गूंज और जनभावनाएं
अंकिता की हत्या से न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। सड़कों पर प्रदर्शन हुए, सोशल मीडिया पर न्याय की मांग गूंज उठी। महिलाओं की सुरक्षा, वीआईपी संस्कृति और न्याय प्रणाली को लेकर कई सवाल उठे।
अदालत का फैसला: एक संदेश
कोटद्वार अदालत का यह फैसला सिर्फ एक न्यायिक निर्णय नहीं बल्कि महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा को लेकर समाज को दिया गया सख्त संदेश भी है। पीड़िता के परिवार और जनमानस को इस फैसले से कुछ हद तक राहत मिली है, हालांकि उनका दर्द कभी खत्म नहीं हो सकता।