न्यूज प्रिन्ट, रुद्रपुर। उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के उधमसिंहनगर जि़ले में स्थित एक नगर है। जनसंख्या के आधार पर यह कुमाऊँ का दूसरा, जबकि उत्तराखण्ड का पांचवां सबसे बड़ा नगर है। इस नगर की स्थापना ‘कुमाऊँ के राजा रुद्र चन्द ने सोलहवीं शताब्दी में की थी, और तब यह तराई क्षेत्र के लाट (अधिकारी) का निवास स्थल हुआ करता था। यह दिल्ली, तथा देहरादून से 250 एवं हल्द्वानी से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रुद्रपुर उत्तराखण्ड का एक प्रमुख औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र होने के साथ साथ उधम सिंह नगर जनपद का मुख्यालय भी है। रैडिसन होटल, ‘गाँधी उद्यान, मेट्रोपोलिस मॉल, अटरिया मन्दिर , झील, मुख्य बाजार, मुख्य स्थान है। जिसमें अटरिया माता का मंदिर प्राचीन ‘सिद्ध पीठ एवं आस्था का केंद्र भी है। वहीं इतिहासकारों के मुताबिक, सैकड़ों साल पहले गांव रूद्रपुर को भगवान रूद्र के एक भक्त या रुद्र नाम के हिंदू आदिवासी प्रमुख ने स्थापित किया था, जो कि रुद्रपुर शहर का आकार लेने के लिए विकास के चरणों के माध्यम से पारित हुआ है।
रुद्रपुर का महत्व बढ़ गया है क्योंकि यह जिला उधम सिंह नगर का मुख्यालय है। मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान 1588 में इस भूमि को राजा रुद्र चंद्र को सौंप दिया गया था। राजा ने दिन में आज के हमलों से मुक्त रहने के लिए एक स्थायी मिलिटरी कैंप की स्थापना की। कुल मिलाकर उपेक्षित गांव रूद्रपुर नए रंगों और मानव गतिविधियों से भरा हुआ था। ऐसा कहा गया है कि रुद्रपुर का नाम राजा रुद्र चंद्रा के नाम पर रखा गया था।
अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान, नैनीताल को एक जिला बना दिया गया और 1864-65 में पूरे तराई और भावर को तराई और भावर सरकारी ‘अधिनियम’ के तहत रखा गया, जिसे ब्रिटिश मुकुट द्वारा सीधे नियंत्रित किया गया था।विकास का इतिहास 1948 से शुरू हुआ, जब विभाजन की समस्या से शरणार्थी समस्या सामने आई थी। उत्तर-पश्चिम और पूर्वी क्षेत्रों के अप्रवासी को ‘उपनिवेश योजना’ के तहत 164.2 वर्ग किमी भूमि क्षेत्र में पुन: स्थापित किया गया था। व्यक्तिगत निवासियों को क्राउन ग्रांट एक्ट के अनुसार भूमि आवंटित नहीं की गई थी। दिसंबर 1948 में अप्रवासियों का पहला बैच आया। कश्मीर, पंजाब, केरल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, गढ़वाल, कुमाऊं, बंगाल, हरियाणा, राजस्थान, नेपाल और दक्षिण भारत के लोग इस जिले में समूहों में रहते हैं।
यह देश कई धर्मों और व्यवसायों के लोगों के साथ विविधता में एकता का उदाहरण है और ऐसा ही तराई है, जिसका रुद्रपुर में दिल है इस तराई को मिनी हिंदुस्तान नामित किया गया। और इसमें चार चांद तब लग गए जब औद्योगिक क्षेत्र स्थापित होने के बाद सैकड़ो कंपनियां रुद्रपुर में लगी और देश-विदेश के कोने-कोने से लोग यहां आकर रोजगार करने लगे और निवेश करने लगे और रुद्रपुर शहर एक छोटा कस्बा ना होकर एक महानगर में तब्दील हुआ और लाखों हजारों लोगों की जीविका का केंद्र भी बना।
आज रुद्रपुर शहर से देश के कोने-कोने से लोग आते जाते हैं और अपने जीविका व्यापार को कर रहे हैं साथ ही अब विश्व पटल पर भी रुद्रपुर का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता है ऑटोमोबाइल कंपनियों ने रुद्रपुर को विश्व स्तर पर एक नई पहचान दी है।