काशीपुर। रंग महापर्व होली के उपरांत श्री शीतला देवी माता के पूजन का ऐतिहासिक विधान है। इसके अंतर्गत बसौड़ा पूजन भी किया जाता है।
सिद्धपीठ श्री शीतला देवी माता मंदिर में वैशाख माह की शीतला अष्टमी के अवसर पर बसौड़ा पूजन शनिवार, 22 मार्च को संपन्न होगा। शीतला देवी माता मंदिर में ऋतु परिवर्तन से होने वाले हैजा, चेचक, चर्म रोगों से मुक्ति के लिए प्रत्येक वर्ष होली के बाद चैत्र मास की द्वितीया से विशेष पूजन की मान्यता है। मंदिर के प्रबंधक/पीठाधीश पं. संदीप मिश्रा ने बताया कि श्रद्धालु नारियल, कच्चा दूध, चना-मसूर की दाल, हल्दी, गुड़, आटा व सरसों तेल से माता शीतला की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही बासी भोग में पुए व पूरी मां को अर्पित करते हैं। इससे मनुष्य रोग मुक्त रहता है। बताया कि मां की आराधना सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को करना लाभप्रद माना गया है। हालांकि, पंजाबी समाज में मंगलवार को माता शीतला की आराधना करने का विधान है। उन्होंने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि का प्रारंभ 22 मार्च दिन शनिवार को 4 बजकर 23 मिनट पर होगा और समापन 23 मार्च दिन रविवार को सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए जो लोग अष्टमी तिथि को शीतला माता की पूजा करते हैं, वे शनिवार 22 मार्च को पूजा अर्चना करें।
शीतला सप्तमी व अष्टमी तिथि को शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाया जाता है और घर के सभी सदस्य पूरे दिन बासी खाना खाते हैं इसलिए इस पर्व को बसौड़ा या बसोड़ा कहा जाता है।