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Sunday, February 16, 2025

Kashipur: घिसे पिटे उपकरणों से प्रैक्टिकल करने को मजबूर हैं विद्यार्थी प्रयोगशालाओं की बदहाल स्थिति का हुआ खुलासा

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न्यूज़ प्रिंट, राधेहरि पीजी कॉलेज में भौतिक, रसायन, जंतु, वनस्पति विज्ञान की प्रयोगशालाओं की स्थिति बेहतर नहीं है। इनमें साइंस के विद्यार्थियों के प्रैक्टिकल के लिए जो उपकरण मौजूद हैं वो घिसे पिटे हैं। 

काशीपुर में शासन एवं विभाग की अनदेखी के चलते राधेहरि पीजी कॉलेज में प्रयोगशालाओं में संसाधनों का अभाव बना हुआ है। विद्यार्थी घिसे-पिटे उपकरणों से प्रैक्टिकल करने को मजबूर हैं।

राधेहरि पीजी कॉलेज में भौतिक, रसायन, जंतु, वनस्पति विज्ञान की प्रयोगशालाओं की स्थिति बेहतर नहीं है। इनमें साइंस के विद्यार्थियों के प्रैक्टिकल के लिए जो उपकरण मौजूद हैं वो सब घिसे पिटे हैं। बृहस्पतिवार को संवाद न्यूज एजेंसी की टीम ने महाविद्यालय की प्रयोगशालाओं की पड़ताल की तो इस बदहाल स्थिति का खुलासा हुआ। सबसे पहले टीम भौतिक विज्ञान की प्रयोगशाला पहुंची। यहां लैब की स्थिति ठीक थी लेकिन यहां मात्र 10 प्रतिशत उपकरण एवं यंत्र ही पाए गए। साथ ही पुराने सामान से स्टोर कक्ष भरा हुआ मिला। वहीं रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला में कैमिकल, एसिड एवं अन्य उपकरणों का अभाव मिला। उपकरण व अन्य सामान भी वर्षों पुराना था। ऐसा ही हाल वनस्पति और जंतु विज्ञान प्रयोगशाला का मिला। नए उपकरणों की आवश्यकता है लेकिन कॉलेज प्रशासन शासन से बजट मिलने के बाद उपकरण खरीदने की बात कर पल्ला झाड़ने में लगा रहा है। 

लैब में भरा मिला टूटा फर्नीचर
रसायन विज्ञान की पीजी की लैब की स्थिति बहुत ही दयनीय मिली। यहां पुराना टूटा फर्नीचर भरा मिला। वहां जाले एवं गंदगी को देख कर प्रतीत हो रहा था सालों से यहां प्रैक्टिकल ही नहीं हुए हैं।

क्या कहते हैं विभाग प्रभारी
भौतिक विज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. महीपाल सिंह कहते हैं कि लैब में 90 प्रतिशत उपकरण एवं यंत्रों का अभाव है। लैब सहायक कार्यरत हैं। नए उपकरणों की आवश्यकता है। रसायन विज्ञान विभाग की प्रभारी ममता बेलवाल कहती हैं कि पुराने उपकरण से काम चलाया जा रहा है। लैब सहायक का पद रिक्त है। वनस्पति विज्ञान विभाग प्रभारी डॉ. स्नेहलता कहती हैं कि लैब सहायक के दो में से एक पद रिक्त है। पीजी में लैब नहीं है। जंतु विज्ञान विभाग प्रभारी डॉ. एमके सिन्हा कहते हैं कि पुराने उपकरणों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। नए उपकरणों की जरूरत है।

प्रयोगशालाओं में उपकरणों की कमी महाविद्यालय स्तर की है। महाविद्यालय से प्रस्ताव आने पर शासन को भेजा जाएगा। वहां से बजट मिलने पर ही उपकरण खरीदे जा सकेंगे।

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