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Monday, November 17, 2025

Pantnagar Kisan Mela : कृषि में पंत विश्वविद्यालय का योगदान, पढ़ें पूरी खबर..

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मेले के समापन में जिलाधिकारी ने किया प्रतिभाग, बोले-जैविक खेती को बढ़ावा दें

न्यूज प्रिन्ट, पंतनगर। जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने पंतनगर में आयोजित 117वां अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के समापन कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के रूप में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने किसान मेले में लगे स्टॉलों का निरिक्षण विभिन्न उत्पादों के बारे विस्तृत रूप से जानकारी ली।

कार्यक्रम में भदौरिया ने सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के 117वें अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के समापन कार्यक्रम में भाग लेने पर मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। इस विश्वविद्यालय का कृषि के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि स्थापना काल से ही यह विश्वविद्यालय कृषि शिक्षा, अनुसंधान, प्रसार एवं कृषि विकास के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में जाना जाता है। इस विश्वविद्यालय से डिग्रीधारक न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में नित नवीन कृषि विकास की गाथा लिख रहे है। उन्होंने कहा कि इस दौरान विश्वविद्यालय ने हरित क्रान्ति के अग्रदूत होने की विश्वसनीयता भी अर्जित की है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह विश्वविद्यालय उच्चकोटि की शिक्षा के साथ अनुसंधान व प्रसार गतिविधियों द्वारा कृषि के चहुंमुखी विकास हेतु कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पंत विश्वविद्यालय ने विभिन्न फसलों, सब्जियों, फलों एवं फूलों की 350 से अधिक प्रजातियों को विकसित करके कृषि उत्पादकता वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने उन्नत प्रजातियों के विकास तक ही अपना दायित्व सीमित नहीं रखा है अपितु इन प्रजातियों का आवश्यक मात्रा में बीज उत्पादन करके किसानों तक पहुँचाने में भी सराहनीय भूमिका निभाई है।

भदौरिया ने कहा कि ष्पंतनगर बीज अपनी गुणवत्ता के कारण ही पूरे देश में लोकप्रिय हैं।विश्वविद्यालय के सब्जी अनुसंधान केन्द्र, उद्यान अनुसंधान केन्द्र, जनक बीज उत्पादन केन्द्र, कसल अनुसंधान केन्द्र, पुष्प अनुसंधान केन्द्र, औषधीय एवं सगंध पौध उत्पादन केन्द्र अपने-अपने क्षेत्र में वांछित शोध कर किसानों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं। भदौरिया ने कहा कि निश्चित रूप से वर्तमान में कृषकों के आय संवर्धन में स्वयं सहायता समूहों का अति महत्वपूर्ण स्थान है। विश्वविद्यालय का गृह विज्ञान महाविद्यालय भी इस दिशा में कार्य करते हुए कृषकों को आत्मनिर्भरता का राह दिखला रहा है। उन्होंने कहा कि मैं विश्वविद्यालय को भरोसा दिलवाना चाहूंगा कि स्वयं सहायता समूहों के गठन व इससे सम्बन्धित अन्य कार्यों में जिला प्रशासन आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के लिये विभिन्न अन्न जैसे मंडुआ, झंगोरा, कौणी, कुटकी, रामदाना, उगल आदि का विशेष महत्व है, क्योंकि हिमालयी क्षेत्र इनके उद्भव का केन्द्र माना गया है। इन फसलों में सूखा व शीत सहन करने तथा कम लागत में औसत उत्पादन देने की क्षमता होती है। इन फसलों से उच्च गुणत्तायुक्त चारा मिलता है, जिसकी इस प्रदेश में भारी कमी है। अन्य फसलों की अपेक्षा इनमें कीट एवं रोग प्रतिरोधी क्षमता अधिक पायी जाती है।

जिलाधिकारी ने कहा कि प्रदेश में जैविक खेती के साथ-साथ एक कदम और आगे बढ़ते हुए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिससे जनमानस को उनके थाली में स्वास्थ्यवर्धक भोजन मिल सकें। उत्तराखण्ड में उत्पादित अनेक फसलों की उत्पादकता बहुत कम है, जिस कारण किसानों को खेती से पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है। साथ ही उत्पादों के विपणन के लिए एक सुदृढ व्यवस्था की भी अत्यन्त आवश्यकता है जिससे किसानों की आय को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। उन्होने कहा ग्रीष्मकालीन धान के विकल्प के रूप में मक्का, गन्ना, दलहन फसले उगाये जाये, मक्का खरीद हेतु सरकार ने 1.50 करोड़ की धनराशि भी स्वीकृत कर दी है। किसान मेले में सर्वश्रेष्ठ स्टॉल पंजाब मोटर्स रूद्रपुर, उकृष्ट प्रदर्शनी स्टॉल मनराल एग्रो इन्डस्ट्रीज गदरपुर व शुद्ध स्वच्छ भोजन उपलब्ध कराने हेतु महिला क्लब पंतनगर को जिलाधिकारी व कुलपति द्वारा प्रशस्ती पत्र व प्रतीक चिन्ह देकर पुरस्कृत किया गया।

कुलपति कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया। उन्होने कहा मेले में वैज्ञानिकों द्वारा जो भी जानकारियां दी गयी है, उन जानकारियों को कृषक जरूर अमल में लाये व अपना उत्पादन व आमदनी बढाये तभी मेले की सार्थकता होगी। उन्होने कहा कृषक उन्नत बीजो व नई तकनिकों का उपयोग कर स्मार्ट फार्मिगं करे, विश्वविद्यालय हमेशा कृषकों के साथ है। निदेशक प्रसार शिक्षा जितेन्द्र क्वात्रा ने बताया कि मेले में 385 स्टॉल लगाये गये, लगभग 20 हजार से अधिक कृषकों में मेले में प्रतिभाग किया व मेले में लगभग 30 लाख की विक्री हुई।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के डैम बीएस चलाल, वित्त नियत्रक आभा गर्खाल, निदेशक शोध एएस नैन, मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. अभय सक्सेना, सहायक निदेशक प्रसार संजय चौधरी सहित कृषक, वैज्ञानिक, स्वयं सहायता समूह व छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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