मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर इसका ऐलान किया है। एक्स पोस्ट के जरिए उन्होंने बताया दिग्गज अभिनेता को उनकी उल्लेखनीय सिनेमाई यात्रा और भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। 74 साल के मिथुन चक्रवर्ती का हिंदी सिनेमा में 48 साल का सफल करियर है। वो अभी भी फिल्मों में सक्रिय हैं।
मिथुन चक्रवर्ती को मिलेगा दादा साहब फाल्के सम्मान
अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘मिथुन दा की उल्लेखनीय सिनेमाई यात्रा पीढ़ियों को प्रेरित करती है! यह घोषणा करते हुए सम्मानित महसूस हो रहा है कि दादा साहब फाल्के चयन जूरी ने दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती जी को भारतीय सिनेमा में उनके प्रतिष्ठित योगदान के लिए पुरस्कार देने का फैसला किया है।’ उन्होंने यह भी बताया कि मिथुन चक्रवर्ती को यह पुरस्कार 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाएगा, जो 8 अक्टूबर, 2024 को होने वाला है।
पद्म भूषण से भी किया गया था सम्मानित
कोलकाता की गलियों से निकलकर बॉलीवुड के डिस्को डांसर बनने का सफर मिथुन के लिए जरा भी आसान नहीं रहा। सिनेमा की ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया। मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलने की खबर उनके पद्म भूषण से सम्मानित होने के कुछ ही महीनों बाद आई है। यह समारोह अप्रैल में हुआ था और अभिनेता को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सम्मान स्वीकार करते हुए देखा गया था।
कैसी की फिल्मों में शुरुआत
मिथुन चक्रवर्ती ने 1976 में एक छोटे रोल से अपने अभिनय सफर की शुरुआत की। ये फिल्म थी ‘दो अनजाने’, फिर लीड के रूप में उन्हें 1977 में स्वीकारिता मिली। पहली ही फिल्म ‘मृगया’ के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। पहली ही फिल्म के नेशन अवॉर्ड हासिल करने वाले कुछ ही सितारों में उनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया। 1982 में उनकी फिल्म ‘डिस्को डांसर’ रिलीज हुई, जिसके बाद वो चर्चा में आ गए। इस फिल्म ने एशिया, सोवियत संघ, पूर्वी यूरोप, मध्य पूर्व, तुर्की और अफ्रीका में शानदार कारोबार किया।
इन फिल्मों से छाए मिथुन
अगर हालिया दिनों की बात करें तो वो ‘ओह माय गॉड’ जैसी फिल्मों में दिखाई दिए। इसके अलावा उनके सफल करियर में ‘अग्निपथ’, ‘मुझे इन्साफ चाहिए’, ‘हम से है जमाना’, ‘पसंद अपनी अपनी’, ‘घर एक मंदिर’ और ‘कसम पैदा करने वाले की’ सहित कई अन्य शामिल हैं।