भारत ने इजराइल और लेबनान के हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष विराम समझौते का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस कदम को शांति और स्थिरता की ओर एक सकारात्मक कदम बताया। यह समझौता कई महीनों के संघर्ष के बाद आया है, जो इजराइल-गाजा संघर्ष से उपजा था।
भारत की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी करते हुए कहा, “हम इजराइल और लेबनान के बीच घोषित संघर्ष विराम का स्वागत करते हैं। हमने हमेशा तनाव कम करने, संयम बरतने और बातचीत एवं कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है। हमें उम्मीद है कि इन घटनाक्रमों से व्यापक क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी।” भारत ने पहले भी इस तरह के संघर्षों के दौरान कूटनीतिक और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन किया है।
संघर्ष विराम समझौते की अहमियत

इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच 14 महीनों तक चले घातक संघर्ष के बाद यह युद्ध विराम समझौता हुआ है। सितंबर में लेबनान में कई हिजबुल्लाह नेताओं की हत्या के बाद यह संघर्ष और भी गंभीर हो गया था। संघर्ष विराम के तहत, इजराइल और हिजबुल्लाह दोनों ही 60 दिनों में अपने-अपने सैनिकों को दक्षिणी लेबनान से वापस लेंगे।
अमेरिका और फ्रांस के बीच मध्यस्थता के बाद यह समझौता हुआ, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने इसे स्थायी समाधान की दिशा में एक कदम बताया। हालांकि, इजराइल के मंत्रियों ने स्पष्ट किया है कि अगर हिजबुल्लाह ने समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया, तो इजराइल लेबनान पर हमले फिर से शुरू कर सकता है।
इजराइल-हिजबुल्लाह संघर्ष का इतिहास
यह संघर्ष इजराइल और गाजा में जारी युद्ध से उपजा था, जिसने पूरे मध्य पूर्व में तनाव को बढ़ा दिया। इजराइल की गोलीबारी में लेबनान में 3,760 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश नागरिक हैं।

नेतन्याहू और बिडेन की बातचीत
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन को युद्ध विराम समझौते में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। नेतन्याहू ने कहा, “हम बिडेन की इस समझ की सराहना करते हैं कि इजराइल को अपने सुरक्षा हितों की रक्षा करने की स्वतंत्रता है।” नेतन्याहू ने यह भी कहा कि युद्ध विराम की सफलता लेबनान में क्या होता है, इस पर निर्भर करेगी।
युद्ध विराम का गाजा संघर्ष पर प्रभाव
हालांकि, यह समझौता गाजा में इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन इजराइल के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है क्योंकि यह उसे हिजबुल्लाह पर दबाव बनाने और ईरानी खतरे पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर देगा।
निष्कर्ष
भारत ने इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष विराम समझौते का स्वागत करते हुए आशा जताई है कि यह शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। हालांकि, इस समझौते का पालन और उसका भविष्य, लेबनान में चल रही स्थिति और हिजबुल्लाह की कार्रवाइयों पर निर्भर करेगा।